Friday, July 1, 2011

एहसासों कि वर्जिश 

वो कहता है... "तुम्हारी तलाश 
ख़त्म हो गयी
इसलिए तुमने लिखना छोड़ दिया" | 

क्या बताऊ उसको
कि सपनों ने मेरी गली
आना छोड़ दिया |

भाव मेरे दरवाज़े पर
दस्तक नहीं देते,
इसलिए मैंने भी उनकी
गली जाना छोड़ दिया |

क्यूँ न ऐसा कुछ किया जाए,
'एहसासों को थोड़ा सा
धोखा दिया जाए' ... |

मुझे उनकी तलाश में नहीं,
उनको मेरी खोज में लगाया जाए |
पहली बार ही सही,
आज उनसे कुछ काम कराया जाए ||

~~~ *** ~~~

4 comments:

Fani Raj Mani CHANDAN said...

क्यूँ न ऐसा कुछ किया जाए,
'एहसासों को थोड़ा सा
धोखा दिया जाए' ... |

मुझे उनकी तलाश में नहीं,
उनको मेरी खोज में लगाया जाए |
पहली बार ही सही,
आज उनसे कुछ काम कराया जाए ||

hona to yahi chahiye...
loved it :-)

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

just one word...

"aafareen"

Anonymous said...

"क्यूँ न ऐसा कुछ किया जाए,
'एहसासों को थोड़ा सा
धोखा दिया जाए' ..."

क्या बात है - बहुत खूब

somali said...

क्यूँ न ऐसा कुछ किया जाए,
'एहसासों को थोड़ा सा
धोखा दिया जाए' ... |

मुझे उनकी तलाश में नहीं,
उनको मेरी खोज में लगाया जाए |
पहली बार ही सही,
आज उनसे कुछ काम कराया जाए ||
bahut khoob mam