Wednesday, April 13, 2011



काले ज़ार रंग से मुझे प्यार हो गया,
कमरे में फैला दो ये मेरा यार हो गया,
परछाइयों से नाता नहीं जबसे उनसे तकरार हो गया |

रौशनी में परछाइयाँ नज़र आती हैं,
जो मुझे न चाहते हुए भी उससे मिलाती हैं,
इसलिए अँधेरे को मैंने रिश्तेदार बना लिया
और परछाइयों से अपना दामन छुड़ा लिया |
.
.
.
पर देखा... कुछ रिश्ते तो कभी नहीं छूटते,
रौशनी तो क्या, अंधेरों में भी परछाइयों से नाते नहीं टूटते ||