Friday, September 16, 2011

मेरे यार
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ऐसे मत घूरो मुझे,
गल्ती  मेरी, मारो मुझे,
चुप रहकर यूं इम्तिहान न लो,
कुछ कहते नहीं, पहचान तो लो |

मुस्कुरा कर मुझे आभास तो दो,
खो कर मिलने वाला एहसास तो दो,
मेरे लिए सबसे खास तुम हो
और दिल के पास तुम हो |

मानती हूँ खता कर दी मैंने,
कुछ महीने से आई नहीं मिलने,
क्या करूँ छत पर कोई आने नहीं देता
और घर की खिड़की से तू नहीं दिखता |

खत्म हो जाएगी तकरार,
गर प्यार से देख लो एक बार,
सही नहीं जाती टकटकी की मार,
ओ चाँद! तेरे जैसा नहीं कोई यार || 

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3 comments:

Fani Raj Mani CHANDAN said...

सही नहीं जाती टकटकी की मार,
ओ चाँद! तेरे जैसा नहीं कोई यार||

tumhaare jaisaa bhi koi nahin
poochh lo chaand se gar ho yakeen nahin ;-)

mini said...

simple and pure creation...congrats for this nice creation

somali said...

beautiful creation