Tuesday, August 17, 2010

रात
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ये रात बड़ी बईमान है,
पर तुम पे सबसे ज्यादा मेहरबान है ...
तुम्हे हर रात खूबसूरत बनाती है,
और मुझे तुम्हारी याद में तड़पाती है ...
यह तो शुक्र है हर रात में चाँद  नज़र आ जाता है,
और मुझे तुम्हारी झलक उसमें दिखला जाता है ...
शायद इसलिए अमावस्या की रात के बाद,
तुझे उस चाँद में ढूँढने में अलग ही मज़ा आता है ...

4 comments:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

humein bhi aapki rachnaayein padhne mein bahut mazaa aata hai!

Fani Raj Mani CHANDAN said...

aur hindi me padhne ka mazaa aur badh jaataa hai :-)

Urmi said...

मुझे आपका नया ब्लॉग बहुत बढ़िया लगा! बेहद ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!

प्रिया said...

Wow Dimple...Amavasya ke baad ka chaand...sundar khyaal... HIndi mein swagat hai....likhiye aur khoob likhiye