Sunday, August 15, 2010

मिसाल

साफ़ सीधी सी बात है,
आज मेरा मन उदास है...

जिसे कहती है दुनिया दोस्त
वो तो मेरे पास है...
पर उसकी परेशानी देख के,
आज दिल में बस इक बात है | 

बहुत अरसे बाद आज,
किसिके दुःख से फिर मन टूटा है,
ऐसा लगता है ...
... रब्ब मुझसे ज्यादा शायद तुझसे रूठा है,  
तुने जो दर्द सहने में यह महारथ हासिल की है,
उसी रब्ब की कसम मैंने हर मोड़ पे...
तुझसे ही हिम्मत की मिसाल ली है ||

3 comments:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

डिम्पल जी,
सर्वप्रथम तो आपका स्वागत है हिंदी चिटठा जगत में! आप अंग्रेजी से हिंदी की तरफ आयी इसके लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं!
अब बात करते हैं आपकी हिंदी लेखनी की, तारीफ़ नहीं करूँगा लेकिन ये ज़रूर कहूँगा की जिस प्रकार आप अपनी अंग्रेजी कविताओं में जज्बातों को उभार के दिल खोल के सामने रख देती हैं, ठीक उसी प्रकार इस बार हिंदी में भी आपने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है!
आशा करता हूँ आप सफलताओं की बुलंदियों को छुएं!
आभार!

Fani Raj Mani CHANDAN said...

May god bless everyone with a heart as yours which can get sad to see others in trouble.

Nice poetry :-)

Regards
frmc

Deepak said...

a nice start up... keep it up...